ब्रायन ऐक्टन (Brian Acton) और जेन कोयुम (Jan Koum) , यह दोनों याहू कम्पनी में अपनी नौकरी करते थे जां कॉम का जन्म यूक्रेन के एक छोटे गांव में 24 फ़रवरी 1976 को हुआ था | इनकी माता एक गृहणी थीं और पिता अस्पताल और स्कूल बनाने वाली एक कंस्ट्रक्शन कंपनी में काम करते थे और इसी कारण इनके पिता अक्सर घर से बाहर ही रहते थे, घर में रोजमर्रा की चीजें जुटा पाना भी कठिन होता था, उनकी मां और पिता किसी तरह अपना खाना जुटा पाते थे। जेन कोयुम (Jan Koum) स्कूल में एक शैतान बच्चे हुआ करते थे | लगभग 18 की उम्र में कम्प्यूटर नेटवर्किंग में एक्सपर्ट बन गए । उन्होंने एक हैकर ग्रुप वूवू ज्वाइन किया जिसमें उन्होंने इंटरनेट और नेटवर्किंग से जुड़ी तमाम चीजें सीखीं। 1997 में वे सैन जोस स्टेट यूनिवर्सिटी में उनकी मुलाकात ब्रायन ऐक्टन (Brian Acton) से हुआ जो उसी यूनिवर्सिटी का एक छात्र थे | धीरे-धीरे वह दोनों अच्छे दोस्त बन गए और यूनिवर्सिटी में पढ़ते हुए जेन कोयुम (Jan Koum) और ब्रायन ऐक्टन (Brian Acton) ने याहू में नौकरी करना शुरू कर दिया। एक दिन याहो कम्पनी के सर्वर में कुछ परेशानी आने पर याहू के फाउंडर फिलो ने जेन कोयुम (Jan Koum) को फोन किया और पूछा कि वह कहां है। कॉम ने जवाब दिया कि मैं क्लास में हूं। याहू के फाउंडर फिलो ने कहा मेरी टीम बेहद छोटी है और यहाँ सर्वर में कुछ problem हो गया है और इसे जल्द से जल्द ठीक करना है।
जेन कोयुम (Jan Koum) पढ़ाई करना पसंद नहीं था और उन्होंने कुछ दिनों बाद ही पढ़ाई छोड़ दी।
1997 में उनके पिता की मृत्यु हो हो गयी और सन 2000 में मां की मृत्यु हो गयी | उस समय जेन कोयुम (Jan Koum) को उसके मित्र ब्रायन ऐक्टन (Brian Acton) उसका मन बहलाने के लिए सॉकर और फ्रिस्बी के लिए अपने साथ ले जाते थे, वह जेन कोयुम (Jan Koum) को अपने घर भी ले जाते थे |
याहू कम्पनी में काम करते वक्त उन्होंने ने सोचा कि अपना खुद का कोई काम शुरू किया जाए, और 2007 में ब्रायन ऐक्टन (Brian Acton) और जेन कोयुम (Jan Koum) दोनों ने याहू कम्पनी की नौकरी छोड़ दी, और साउथ अफ्रीका चले गए | लेकिन वहाँ फिर उन्हें लगा कि बात बन नहीं रही है नौकरी फिर से पकड़ लेनी चाहिए | लेकिन तभी दूसरे दोस्त ने पहले को समझाया कि इतनी दूर चलने के बाद मंजिल की आस छोड़नी नहीं चाहिए। हमें कुछ बनाने का कोशिश करना चाहिए और काम चलता रहा। इसी दौरान दोनों ने फेसबुक में जॉब करने के लिए आवेदन भी किया था लेकिन फेसबुक ने आवेदन अस्वीकार कर दिया, ब्रायन ऐक्टन (Brian Acton) इससे बहुत दुखी हुए और उन्होंने अब जॉब के लिए ट्विटर में अप्लाई किया, परन्तु यहाँ भी उन्हें निराशा ही मिली |
फिर दोनों दोस्त एक कॉफी शॉप में बैठ कर बात करते रहे। एक ऐप के बारे में सोचा, उन्होंने सोचा कि यह कितना कूल होगा कि एक ऐप का स्टेटस यह बताए कि आप क्या कर रहे हो। जैसे आप फोन पर हो, कोई काम कर रहे हो | वाट्स ऐप का नाम कोई ज्यादा सोच समझ कर नही रखा गया है जेन कोयुम (Jan Koum) ने एक बार में इस Application का नाम रोजाना प्रयोग किये जाने वाले शब्द “What’s up” के ऊपरही यह नाम सोच कर रख दिया था बाद में इसे Whats App कहा गया |
शुरुआत में वॉट्स ऐप लगातार क्रैश या हैंग होता रहा। इसके बाद वे लगातार फोन में ऐप पर काम करते रहे उनके कॉन्टैक्ट को डाउनलोड करते रहे और यह नोट्स बनाते रहे कि कहाँ-कहाँ दिक्कते आ रही हैं।
इस बीच एक दिन फ्रिस्बी खेलते हुए कॉम ने ऐक्टन से कहा कि हमें फिर से नौकरी की तलाश करनी चहिए। इस पर ऐक्टन ने कॉम को कहा कि इतना आगे आकर अब अगर तुम इस प्रोजेक्ट को छोड़ दोगे तो यह बड़ी बेवकूफी होगी।
लेकिन धीरे-धीरे इसमें इंस्टेंट मैसेज जुड़ा। इसके बाद दोनों दोस्तों ने सोचा कि अगर दुनिया भर में काम करने वाला कोई ऐसा ऐप बने जो सभी जगह काम करे और लोग आपस में जुड़ जाएं तो वह बहुत कारगर साबित होगा और ताकतवर भी, इसके बाद कुछ ही सालों का समय लगा और वॉट्स ऐप की कीमत कुछ डॉलर से बिलियन डॉलर तक पहुंच गई।
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